मारने के कुछ घंटे बाद फिर से जिंदा हो गया
पांडुरंग को हार्ट अटैक आया था। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 15 दिन तक उनका इलाज चला लेकिन उनके शरीर में कोई हलचल नहीं हुई। आखिर में डॉक्टरों ने बुजुर्ग को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिजन उनके अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे।
अस्पताल से पांडुरंग को एंबुलेंस के माध्यम से घर लाया जा रहा था। तभी अचानक सड़क के गड्ढे में एंबुलेंस फंस गई। हुआ यूं कि एंबुलेंस सड़क पर चल रही थी और एक बड़ा सा गड्ढा आया, जिससे एंबुलेंस बुरी तरह टकरा गई और पांडुरंग जिंदा हो गए।
परिजनों का पूरा मामला चमत्कार लग रहा है। उनका कहना है कि ईश्वर की कृपा से यह सबकुछ संभव हुआ है। परिजनों को पांडुरंग का जिंदा होने का श्रेय कोल्हापुर की सड़कों को दे रहे हैं। लोकल मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कोल्हापुर शहर में चर्चा हो रही है कि अगर सड़कों पर गड्ढे नहीं होते, तो पांडुरंग जीवित नहीं होते